Om Jai Lakshmi Mata Ringtones
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@Ugne
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ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निषदिन सेवत,मैयाज़ी को निषदिन सेवत
हर विष्णु धाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निषदिन सेवत,मैयाज़ी को निषदिन सेवत
हर विष्णु धाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा रमा ब्रमानि, तुम ही ज़ग माता(मैया तुम ही ज़ग माता)
सूर्या चंद्रमा ध्यावत(सूर्या चंद्रमा ध्यावत)
ऩारद ऋशी गाता(ॐ जय लक्ष्मी माता)
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपति दाता(मैया सुख संपति दाता)
जो कोई तुम को ध्यावत(जो कोई तुम को ध्यावत)
रिद्धि सिद्धि धन पाता(ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता(मैया तुम ही शुभ दाता)
करम-प्रभाव-प्रकाशीनी(करम-प्रभाव-प्रकाशीनी)
भव निधि की त्राता(ॐ जय लक्ष्मी माता)
जिस घर मैं तुम रहती, सब सदगुण आता(मैया सब सदगुण आता)
सब संभव हो जाता(सब संभव हो जाता)
मन नही घबराता(ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम बिन यज्ञ ना होते,वस्त्र ना हो पाता(मैया वस्त्र ना हो पाता)
ख़ान-पान का वैभव(ख़ान-पान का वैभव)
सब तुमसे आता(ॐ जय लक्ष्मी माता)
शुभगुन मंदिर सुंदर,शिरो दधि जाता(मैया शिरो दधि जाता)
रत्नचतुर्धश् तुम बिन(रत्न चतुर्धश् तुम बिन)
कोई नही पाता(ओम जय लक्ष्मी माता)
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता(मैया जो कोई नर गाता)
उर आनंद समाता(उर आनंद समाता)
पाप उतर जाता(ॐ जय लक्ष्मी माता)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निषदिन सेवत,मैयाज़ी को निषदिन सेवत
हर विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निषदिन सेवत,मैयाज़ी को निषदिन सेवत
हर विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता
15
@Astrid
289
हरे कृष्णा, हरे कृष्णा
कृष्णा-कृष्णा, हरे-हरे
हरे कृष्णा, हरे कृष्णा
कृष्णा-कृष्णा, हरे-हरे
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
गले में बैजंती माला
बजावे मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला
नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली
राधिका चमक रही आली
रतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक
ललित छबि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
कनकमय मोर मुकुट बिलसे
देवता दर्शन को तरसे
गगन सों सुमन रासि बरसे
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिनी संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
जहाँ से प्रगट भई गंगा
कलुष कलि हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव शीश, जटा के बीच, हरे अघ कीच
चरन छबि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
चमकती उज्ज्वल तट रेणु
बज रही वृंदावन बेनु
चहुँ दिसि गोपि काल धेनु
हँसत मृदु मंद, चाँदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन दुखारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
(आरती कुंज बिहारी की)
(श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की)
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